2023 में OpenAI ने जब ChatGPT का एडवांस्ड वर्ज़न लॉन्च किया, तब से टेक्नोलॉजी जगत में AI को लेकर खलबली मच गयी। अभी तक ChatGPT, Gemini AI और Copilot के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में अमेरिका और यूरोप सबसे आगे रहे हैं, लेकिन रातोंरात DeepSeek V3 AI मॉडल ने इन सभी की नींद उड़ा दी। चीन के इस नए AI मॉडल DeepSeek R1 ने एक धमाकेदार एंट्री ली है, जिसने सभी बाज़ारों में हलचल मचा दी है और सभी टेक दिग्गज, ये देखकर हैरान हैं, फिर चाहे वो OpenAI के फाउंडर सैम ऑल्टमैन, एलन मस्क हों या अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। DeepSeek AI के कारण कई बड़ी अमरीकी कंपनियों ने शेयर भी धड़ाम से गिरे हैं।
अब ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि DeepSeek AI में ऐसा क्या ख़ास है जो ChatGPT, Google Gemini, Copilot, Meta AI जैसे बड़े AI मॉडलों को चुनौती दे रहा है? और इसके पीछे किसका दिमाग है? आइये जानते हैं पूरा माजरा क्या है ?
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DeepSeek AI क्यों हो रहा प्रचलित ?

सबसे पहले तो ये जान लें कि ये रातोंरात प्रचलित ज़रूर हुआ है, लेकिन इसे बनाने वाले ने काफी समय से तैयारी शुरू की थी और चीन की एक रिसर्च लैब में 2023 में DeepSeek AI को विकसित कर लिया था। इसका लेटेस्ट वर्ज़न DeepSeek V3 है, जो एडवांस रीजनिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है।
जहां इस समय ChatGPT का सबसे ज़्यादा बोलबाला है, वहीँ DeepSeek AI को इससे 20 से 50 गुना तक किफ़ायती और बेहतर माना जा रहा है। जहां अन्य सभी AI मॉडल अडवांस्ड रूप से इस्तेमाल के लिए शुल्क लेते हैं, वहीँ DeepSeek पूरी दुनिया में पूरी तरह से फ्री में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है।
27 जनवरी को जब Apple Store पर DeepSeek AI डाउनलोड लिस्ट में टॉप पर आया, तब इसे विश्व भर में सनसनी मचा दी। जिसके बाद Nvidia जैसी कंपनी के शेयर 13 प्रतिशत तक गिरे और उसे इस नए चीनी AI मॉडल के कारण 593 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।
DeepSeek के पीछे किसका दिमाग है?

DeepSeek के पीछे लियांग वेनफ़ेंग हैं, जिन्हें अब दुनिया “चीन का सैम ऑल्टमैन” भी कह रही है। इन्होंने 2015 में दो साथियों के साथ High-Flyer नाम का एक क्वांट हेज फंड बनाया, जो क्वांटिटेटिव इन्वेस्टमेंट के लिए मैथमेटिक्स और AI पर निर्भर करता है। लियांग पर अपना एक AI मॉडल बनाने का जूनून काफी समय से था और वो खुद निजी रूप से इसकी रिसर्च में शामिल थे। इसके लिए उन्होंने पेकिंग और Tsinghua जैसी चीन की टॉप यूनिवर्सिटीज़ से पीएचडी स्टूडेंट्स को चुना।
हालाँकि इनकी कम्पनी को 2022 में धक्का लगा जब अमेरिकी सरकार ने चीनी AI कंपनियों को Nvidia के चिप देने से रोक दिया। हालांकि तब तक लियांग ने काफी चिप खरीद लिए थे, जिससे उन्होंने DeepSeek का पहला मॉडल ट्रेन किया। इसके बाद उन्होंने अपनी रिसर्च और टीम के साथ 2023 में सिर्फ $5.6 मिलियन में DeepSeek को विकसित कर लिया। अब High-Flyer, DeepSeek की पैरेंट कंपनी भी है। DeepSeek को बनाने में जो रकम लगी, अन्य AI मॉडलों में उससे कहीं ज़्यादा लगी है।
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DeepSeek से क्यों मचा हड़कंप ?
Apple store पर DeepSeek के 2.6 मिलियन से ज़्यादा व्यू, Nvidia के शेयर में भारी गिरावट और Arm और Broadcom जैसी चिप कंपनियों को जो झटका लगा, उससे अमरीकी टेक्नोलॉजी की दुनिया में काफी चिंता पैदा हुई। इसके बाद गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी माना कि हमें चीन के AI विकास को गंभीरता से लेना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को तेजी से AI टेक्नोलॉजी में निवेश करना होगा। इसके अलावा ChatGPT लॉन्च करने वाली कंपनी OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने भी DeepSeek से सीखने की बात कही।
क्या DeepSeek AI गेम चेंजर साबित होगा?
इस चीनी AI मॉडल की लोक्रप्रियता का इतनी तेज़ी से बढ़ना, ये स्पष्ट कर रहा है कि चीन अब AI की दुनिया में अमेरिका और यूरोप को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है। इसकी बेहतरीन परफॉर्मेंस, कम लागत और फ्री एक्सेस ने ChatGPT और Gemini जैसे मॉडलों के लिए काफी चुनौतियाँ पैदा कर दी हैं। अगर DeepSeek इसी स्पीड से आगे विकास करता है, तो AI की लीडरशिप अमेरिका से खिसक कर चीन के हाथों में चली जाए। अब बात AI, बल्कि टेक्नोलॉजी को लेकर दुनिया में संतुलन की भी है।
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