अक्सर हम कहीं बाहर जाते हैं, तो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए Uber जैसी टैक्सी सर्विस का उपयोग करते हैं। इसके दो मुख्य कारण होते हैं, कि ये किलोमीटर के अनुसार चार्ज करती है, और दूसरा कारण के कि आसानी से बुक करने पर हमारी लोकेशन पर आकर हमें पीक करती है, लेकिन क्या हो जब आपको नए Uber स्कैम के बारे में सुनने को मिले। ऐसा हम नहीं बोल रहे, बल्कि लोग बोल रहे हैं, क्योंकि हाल ही में दिल्ली के एक व्यक्ति ने Uber टैक्सी सर्विस पर एक एक्सपेरिमेंट करा जिसमें उसे एक ही रूट के चार अलग अलग फोन में अलग अलग फेयर चार्ज दिखाएं गए, जिसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।
ये पढ़ें: WhatsApp पर हो रहें इस तरह के स्कैम, जान लो वरना बैंक अकाउंट हो जाएगा खाली
क्या है, Uber स्कैम
हाल ही में दिल्ली के एक एंटरप्रेन्योर ऋषभ सिंह द्वारा अपने X(ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट के माध्यम से Uber टैक्सी सर्विस के एल्गोरिथम को लेकर एक एक्सपेरिमेंट की जानकारी साझा की गई है। जिसमें उन्होंने बताया कि इसका एल्गोरिथम ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ साथ बैटरी के परसेंटेज पर भी काम करता है।
ऋषभ सिंह ने इस पोस्ट को “The Curious Case of Uber Fare Discrepancies: Platform and Battery Impact,” टाइटल के साथ शेयर किया और उसमें चार फोन्स के स्क्रीनशॉट भी साझा किए। एक्सपेरिमेंट में दो iOS डिवाइस और दो Android डिवाइस का उपयोग किया गया था।
डिवाइस प्लेटफॉर्म और बैटरी प्रतिशत ऐसे कीमत को अफेक्ट करती है
साझा की गई पोस्ट के अनुसार इसके फेयर चार्ज में बदलाव का पहला कारण फोन का ऑपरेटिंग सिस्टम है। यदि आपके पास कोई iOS डिवाइस है, तो आपको कीमत ज्यादा बताई जाएगी, और वहीं आपके पास Android डिवाइस है, तो आपको कीमत कम बताई जाएगी।
पोस्ट में इसका दूसरा कारण फोन के बैटरी प्रतिशत को बताया गया है। ऋषभ सिंह के अनुसार यदि आपके फोन की बैटरी कम है, तो इस टैक्सी सर्विस का एल्गोरिथम आपको ज्यादा कीमत दिखाएगा, वहीं बैटरी प्रतिशत ज्यादा होने पर कीमत को कम कर दिया जायेगा।
ट्रांसपेरेंसी की बात कहीं
एंटरप्रेन्योर ने इस पोस्ट के माध्यम से ट्रांसपेरेंसी की बात कही है, कि ये चीज यूजर्स के साथ गलत हो रही है, और इस तरह से भेदभाव नहीं होना चाहिए। पब्लिश होने के बाद ये पोस्ट तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी, और कई लोगों ने इस पर रिएक्ट करना भी शुरू कर दिया।
एक यूजर ने कहा कि “अगर ये सच है, तो ये बिलकुल ही अनेथिकल है।” वहीं दूसरे ने लिखा ” हमें इन एल्गोरिथम में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी की आवश्यकता है।”, अब ये एल्गोरिथम में एक एक ग्लिच है, या जान बुझ कर इसे ऐसा बनाया गया है, ये तो जांच के बाद ही सामने आ सकता है। अब देखना ये है, कि कंपनी इस परिस्थिति पर कैसे रिएक्ट करती है।
ये पढ़े: GPay पर बिना पूछे कट रहे पैसे? ऐसे बंद करें ऑटो पे और बचाएं अपनी कमाई
अधिक जानकारी के लिए आप Smartprix को Twitter, Facebook, Instagram, और Google News पर फॉलो कर सकते हैं। मोबाइल फोन, टेक, गाइड या अन्य खबरों के लिए आप Smartprix पर भी विज़िट कर सकते हैं।