डीपफेक AI स्कैम कॉल: दोस्त-रिश्तेदार की बनावटी आवाज़ में आपको लूटने का नया चक्रव्यूह

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समय बदल रहा है तो ठगी करने वालों के तरीके भी बदलते जा रहे हैं। पहले जहां ऑनलाइन या साइबर फ्रॉड किए जाते थे, लेकिन अब स्कैमर डीपफेक AI स्कैम कॉल करके लोगों की जेब हल्की कर रहे हैं। स्कैमर आपके किसी परिचित की आवाज़ की नकल तैयार करता है। फिर डीपफेक AI स्कैम कॉल के जरिए मुश्किल में फंसे होने की बात कहकर रुपये ऐंठ लेता है। लोगों की आवाज़ की नकल बनाकर रुपये ऐंठने का यह सबसे नया तरीका है। धीरे-धीरे यह समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। अब तक डीपफेक AI स्कैम कॉल के चक्रव्यूह में कई लोग फंस चुके हैं। अगर आप इसका शिकार नहीं होना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।

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इस तरह करता है काम

टेक्नोलॉजी की आसान उपलब्धता इस चुनौती को लगातार बढ़ा रही है’। ‘डीपफेक AI स्कैम कॉल’ के लिए ठगी करने वाले जनरेटिव AI का इस्तेमाल करते हैं। ऑनलाइन कई सारे ऐसे सस्ते AI सॉफ्टवेयर हैं, जिनकी मदद से किसी की भी आवाज़ का नमूना तैयार किया जा सकता है। अगर ठगी करने वाले के पास आपकी ऑडियो रिकॉर्डिंग है तो वो आवाज़ का हूबहू वैसा ही नमूना तैयार करने के लिए डीपफेक एल्गोरिदम का उपयोग कर सकता है। आपके कुछ ही वाक्यों के साथ वो आवाज़ की नकल तैयार कर देता है।

सोशल मीडिया ने काम कर दिया आसान

आवाज़ की नकल बनाने के लिए ठगी करने वाले के पास निशाना बनाए जाने वाले व्यक्ति का डाटा होना चाहिए, ताकि उसकी जिंदगी में क्या चल रहा है, उसके बारे में वर्तमान और पिछली जानकारियां मिल सकें। इसके लिए ठग सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं। दरअसल, कई लोग अपनी जिंदगी की पल-पल की अपडेट सोशल मीडिया पर देते रहते हैं। यही ठगी करने वालों के लिए फायदेमंद साबित होती है। वे वहां से जानकारियां एकत्रित करते हैं। जानकारियां जितनी अधिक मिलेंगी, उतनी बेहतर आवाज़ की नकल बनाई जा सकेगी, ताकि सामने वाले का भरोसा जीता जा सके।

वॉयस जनरेटिंग टूल का करते इस्तेमाल

आवाज़ की नकल बनाने से पहले AI वॉयस-जनरेटिंग टूल ये पता लगाते हैं कि उसमें क्या फर्क है। यानी आवाज से सामने वाले की उम्र, जेंडर और शब्दों का उच्चारण किस तरह का है, इसे जांचा जाता है। फिर उसी से मिलती-जुलती आवाज़ और क्या कहना है उसके पैटर्न का पता लगाने के लिए AI बहुत बड़ा डेटाबेस खोजता है। उस व्यक्ति के कहने के तरीके के हिसाब से आवाज़ को फिर से तैयार किया जाता है। इस टूल को बस छोटे-छोटे नमूनों की जरूरत होती है और वो अपने वाक्य तैयार कर लेता है। इनको ठग टीवी ऐड, पॉडकास्ट, Facebook या Instagram से भी निकाल सकते हैं।

डीपफेक एल्गोरिदम का उपयोग है आसान

किसी के भी ऑडियो डाटा तक पहुंच रखने वाला कोई भी इंसान आप से जो चाहे कहलवाने के लिए डीपफेक एल्गोरिदम का उपयोग कर सकता है। यह उतना ही आसान है, जितना कि कंप्यूटर पर कुछ टाइप करना और फिर उसे अपनी आवाज़ में पढ़ना है। एक ठग किसी भरोसेमंद व्यक्ति, बच्चे, माता-पिता या दोस्त के रूप में कॉल कर सकता है और सामने वाले को पैसे भेजने के लिए मना सकता है क्योंकि वह खुद को मुसीबत में फंसा हुआ बताता है।

कोई भी हो सकता है शिकार

जेनरेटिव एआई ने ठगों के लिए आवाज़ों की नकल बनाना आसान कर दिया है, जिससे किसी को भी ठगा जा सकता है। मान लीजिए अगर कॉल करने वाला कोई आपके दोस्त या परिवारीजन की तरह लगे और खुद को खतरे में बताए तो ऐसे में जरूरी है कि उसकी सही से जांच परख कर लें। अगर पैसे की मांग या किसी चीज की जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो पहले सवाल-जवाब करके यह सुनिश्चित कर लें कि कहीं वो डिपफेक कॉल तो नहीं।

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AI धीरे-धीरे हमारी जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है। इसने टेक्नोलॉजी के नये मायने गढ़ दिए हैं। हालांकि, इसके फायदे हैं तो कई बड़े नुकसान भी। जैसे-जैसे यह तकनीक लोगों के पास पहुंच रही है, वैसे-वैसे गलत कामों में भी इसका इस्तेमाल किया जाना शुरू हो चुका है। इसकी सबसे आम रणनीति परिचित के मुश्किल में फंसे होना या फिरौती मांगना है। अगर कोई ऐसा करता है तो तुरंत फोन काट दें और उस परिचित के नंबर पर कॉल करके या उसके पास जाकर सही जानकारी लें।

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