Samsung अपने हाई-एन्ड Galaxy स्मार्टफोनों में हर साल कोई नयी टेक्नोलॉजी पेश करता है, जिससे उपयोगकर्ताओं का अनुभव और बेहतर हो सके। इसी के चलते 2022 में कंपनी ने Galaxy S22 सीरीज़ के साथ Samsung Vision Booster Technology पेश की थी। सैमसंग विज़न बूस्टर का उद्देश्य है स्मार्टफोनों में डिस्प्ले के एक्सपीरियंस को और भी बेहतर बनाना। पिछले साल तक ये तकनीक केवल फ्लैगशिप फोनों तक ही सीमित थी, लेकिन इस साल इसे Samsung इसे अपने किफ़ायती स्मार्टफोनों जैसे Galaxy M34 में भी लेकर आया है। हालांकि फ़ीचर महत्वपूर्ण है, लेकिन वास्तव में ये विज़न बूस्टर टेक्नोलॉजी क्या है और कैसे काम करती है?
सैमसंग विज़न बूस्टर टेक्नोलॉजी डिस्प्ले को बेहतर कैसे बनाती है ? आइये ये जानते हैं।
- जानिये स्मार्टफोन डिस्प्ले टेक्नोलॉजी के बारे में सब कुछ – समझे OLED, LCD, TFT डिस्प्लेस में क्या है अंतर?
- क्या Samsung Galaxy S21 FE Snapdragon 888 के साथ आज के समय में उपयुक्त है ?
- Snapdragon chipset गाइड : बाज़ार में हर दूसरे स्मार्टफोन में मौजूद Snapdragon प्रोसेसरों के बारे में जानें सब कुछ
Samsung Vision Booster Technology क्या है ?
Samsung Vision Booster तकनीक अपना काम तब करती है, जब आपके फ़ोन में अडैप्टिव ब्राइटनेस इनेबल हो (सेटिंग्स में डिस्प्ले सेक्शन में ब्राइटनेस को इनेबल करने का विकल्प मिलता है)। ये फ़ीचर आपको Samsung के लगभग सभी हाई-एन्ड स्मार्टफोनों में मिलता है और अब कुछ मिड-रेंज में भी। इनमें सबसे पहले Galaxy S22 और S23 सीरीज़ के स्मार्टफोन आते हैं. जिनमें 1750 निट्स तक की ब्राइटनेस मिलती है।
विज़न बूस्टर टेक्नोलॉजी केवल ब्राइटनेस को बढ़ाने का काम नहीं करता है, बल्कि ये टेक्नोलॉजी हाई ब्राइटनेस के दौरान, कॉन्ट्रास्ट को कम करके, स्क्रीन पर टोन मैपिंग करती है, जिससे आपको केवल ब्राइट ही नहीं, बल्कि ऐसी स्क्रीन मिले, जो आँखों के लिए आरामदायक हो और जिसमें रंग सही नज़र आएं। अक्सर आपने देखा होगा कि स्मार्टफोनों में ब्राइटनेस को ज़्यादा बढ़ाने पर कंटेंट थोड़ा ज़्यादा सफ़ेद या धुला धुला सा लगता है, वहीँ सैमसंग का विज़न बूस्टर काम आता है। इसके साथ फ़ोन ज़्यादा रौशनी में आते ही, इसे डिटेक्ट करता है और ब्राइटनेस बढ़ाने के साथ साथ कलर रिप्रोडक्शन और टोन मैपिंग करता है।

Samsung Vision Booster कैसे काम करता है ?
Samsung के फोनों का, जिनमें ये तकनीक मौजूद है और वो अडैप्टिव ब्राइटनेस पर सेट हैं, अच्छी रौशनी (bright light) में आते ही, इनका एम्बिएंट लाइट सेंसर रौशनी को डिटेक्ट करता है। इसके बाद Samsung Vision Booster अल्गोरिथम स्क्रीन पर आने वाले कंटेंट के डाटा को और लाइट टेम्परेचर को चेक करती है। इसके बाद ये स्क्रीन पर आ रहे रंगों के सभी पिक्सल भी जांचती हैं ताकि कलर को उतना ही ब्राइट किया जाये, जितना उस स्क्रीन पर दिख रहे दृश्य में बाकी रंगों के अनुसार उचित लगे।

Samsung इस टेक्नोलॉजी को लेकर ये भी दावा करता है कि ये तकनीक कॉन्ट्रास्ट रेश्यो को अधिकतम करके धूप में या कहीं भी तेज़ रौशनी में डिस्प्ले पर रंगों को बिल्कुल जीवंत और सटीक दिखाने की पूरी कोशिश करती है।
Samsung के कौन से फ़ोन Vision Booster टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं ?
हालांकि इसकी शुरुआत Galaxy S22 फ्लैगशिप सीरीज़ के साथ हुई थी, लेकिन अब कुछ मिड-रेंज Galaxy फोनों में भी ये फ़ीचर मिलता है। हालांकि इसके साथ आने वाले सभी स्मार्टफोनों में AMOLED डिस्प्ले और कम से कम 1000 निट्स ब्राइटनेस सपोर्ट मौजूद है।
- Galaxy S22
- Galaxy S22+
- Galaxy S22 Ultra
- Galaxy S23
- Galaxy S23+
- Galaxy S23 Ultra
- Galaxy A34 5G
- Galaxy A54 5G
- Galaxy M34 5G
अपने Samsung फ़ोन पर Vision Booster टेक्नोलॉजी को कैसे ऑन करें ?
Samsung Vision Booster technology फ़ीचर को ऑन करने के लिए आपको फ़ोन में कोई सेटिंग या टॉगल नहीं मिलेगा, क्योंकि तेज़ रौशनी के संपर्क में आते ही, इसका ambient light sensor तेज़ रौशनी को डिटेक्ट करता है और ये फ़ीचर ऑटोमेटिकली ऑन हो जाता है। हालांकि इसके लिए फ़ोन की डिस्प्ले की सेटिंग्स में जाकर अडैप्टिव ब्राइटनेस को ऑन करना ज़रूरी है। इसके लिए आप Settings में जाएँ। फिर Display सेक्शन में Adaptive brightness का टॉगल ढूंढें और इसे ऑन कर दें।
इसके बाद जब भी आप फ़ोन तेज़ रौशनी के संपर्क में आएगा, विज़न बूस्टर टेक्नोलॉजी अपने आप काम करने लगेगी।
अधिक जानकारी के लिए आप Smartprix को Twitter, Facebook, Instagram, और Google News पर फॉलो कर सकते हैं। मोबाइल फोन, टेक, गाइड या अन्य खबरों के लिए आप Smartprix पर भी विज़िट कर सकते हैं।