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Chipset FAQ : चिपसेट या प्रोसेसर क्या है? जानिये चिपसेट से जुड़े अपने सभी सवालों के जवाब

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इंसान के शरीर में दिमाग सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, कानों से सुनकर कोई भी बात आपके दिमाग तक जाती है और उसके बाद दिमाग शरीर के अंगों को जो आदेश दे, वो वैसा ही कार्य करते हैं। ठीक इसी तरह आपका स्मार्टफोन भी है और उसका दिमाग- ‘चिपसेट’ या SoC (system-on-chip) है। चिपसेट आपके फ़ोन पर किये जाने वाले छोटे-से-छोटे काम में अपना किरदार निभाता है और काफी हद तक आपके द्वारा फ़ोन के इस्तेमाल का अनुभव चिपसेट पर ही निर्भर करता है। (अंग्रेजी में पढ़ें Decoding chipsets)

हम आम तौर पर कह देते हैं कि इस स्मार्टफोन में Snapdragon 870 चिपसेट है, या Helio G88 चिपसेट है। लेकिन चिपसेट के वाकई में कई महत्वपूर्ण हिस्से हैं और उन सभी की भूमिका भी बेहद अहम है।

क्या कभी कभी आपके मन में भी सवाल उठते हैं कि जिस स्मार्टफोन को आप इस्तेमाल कर रहे हैं, वो दरअसल कैसे कार्य करता है? आखिर चिपसेट क्या है ? या फिर फ़ोन ख़रीदने से पहले कैसे जांचे कि फ़ोन में कौन सा चिपसेट है और उसके फ़ीचर कैसे हैं ?

आइये हम और आप मिलकर इन सवालों के जवाब ढूंढते हैं और जानते हैं कि फ़ोन में आने वाले छोटे से सिस्टम-ऑन-चिप यानि कि चिपसेट की दुनिया वाकई में कितनी बड़ी है।

Contents :

चिपसेट क्या है ?

चिपसेट या SoC (system-on-chip) दरअसल एक पूरा प्रोसेसिंग सिस्टम है जिसमें कई अलग-अलग प्रोसेसिंग यूनिट या कहें कि पार्ट शामिल होते हैं। इसमें एक प्रोसेसर चिप नहीं है, बल्कि कई प्रोसेसिंग पार्ट हैं जैसे कि CPU, GPU, ISP, DSP, कभी-कभी NPU, मॉडम और भी कुछ बेहद छोटे-छोटे टुकड़े मिलाकर एक चिप बनती है और इसे फ़ोन में मौजूद मदरबोर्ड पर लगाते हैं।

आपने कई प्रचलित चिपसेट के नाम सुने होंगे। अगर हम इस समय के प्रीमियम चिपसेट की बात करें तो Qualcomm का Snapdragon 888, Samsung का Exynos 2100, MediaTek का Dimensity 1200 सीरीज़ इसमें शामिल हैं।

वहीँ मिड-रेंज में Snapdragon 700 सीरीज़ के चिपसेट और MediaTek के Dimensity 800 सीरीज़ के चिपसेट इसमें शामिल हैं।

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चिपसेट और प्रोसेसर में क्या फर्क है ?

जैसे कि हमने कहा चिपसेट के कई भाग हैं जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है CPU (Central Processing Unit), जिसे हम आम भाषा में processor (प्रोसेसर) या कोर (cores) भी कह देते हैं। अगर हमने अभी चिपसेट को दिमाग कहा है, तो CPU इसका सबसे अहम हिस्सा है जो फ़ोन पर चलने वाली सभी एप्लीकेशनों और एंड्राइड के कोड रन करता है। CPU को काफी सारे कठिन और अलग-अलग काम करने के अनुसार ही डिज़ाइन किया जाता है। ये चिपसेट में मौजूद अन्य प्रोसेसरों के कार्य में साथ-साथ उनकी सहायता करने में भी सक्षम होता है। स्मार्टफोन में हम देखते हैं कि प्रोसेसर में Octa-core (ओक्टा-कोर), Quad core (क्वाड-कोर) और उनमें Cortex-X2, Cortex-A710 कोर होते हैं। ये कोर दरअसल प्रोसेसर होते हैं।

साधारण भाषा में कहें तो, CPU चिपसेट का सिर्फ एक भाग है और एक चिपसेट में इसके अलावा कई ज़रूरी कॉम्पोनेन्ट होते हैं, जिन पर अलग-अलग तरह की प्रोसेसिंग का दारोमदार होता है।

हमने अभी कोर की बात की। अब एक और प्रश्न आता है जो इनसे जुड़ा है। आम भाषा में फ़ोन की स्पेसिफिकेशन में लिखा जाता है कि एक मुख्य कोर की क्लॉक स्पीड 2.91 GHz है और बाकी कोर की 2.0 GHz है। यहां GHz क्लॉक फ्रीक्वेंसी की यूनिट है।

तो आइये जानते हैं कि दरअसल ये क्लॉक स्पीड जिसे हम GHz में मापते हैं, वो आखिर है क्या ?

क्लॉक फ्रीक्वेंसी (Frequency) (GHz) क्या है ?

बहुत आसान सा जवाब है, ये आपके एक कोर की स्पीड को बताता है और ज़ाहिर है कि जितनी तेज़ स्पीड होगी, आपका प्रोसेसर उतना ही बेहतर परफॉरमेंस देगा। पिछले कई सालों से हमें परफॉरमेंस में तेज़ी तो मिली है, लेकिन Clock frequency या clock speed लगभग 2.0 GHz से 3.0 GHz तक ही रहती है। फ्लैगशिप फोनों में भी एक मुख्य कोर की क्लॉक स्पीड अधिक होती है, तीन परफॉरमेंस कोर उससे थोड़ी कम क्लॉक स्पीड पर चलते हैं और बाकी के चार कोर पावर कोर होते हैं जो कम क्लॉक स्पीड के साथ उन कामों को करते हैं, जो हल्के हैं या जिनमें बहुत अधिक परफॉरमेंस देने की आवश्यकता नहीं है।

आपको लग रहा होगा कि अगर क्लॉक स्पीड को बढ़ाने से परफॉरमेंस बढ़ता है, तो कंपनियां ऐसा क्यों नहीं करती। दरअसल, ये एक आसानी तरीका ज़रूर है, लेकिन बेहद महंगा भी है और इसके नतीजे भी अच्छे नहीं है। क्लॉक स्पीड को बढ़ाने से फ़ोन का तापमान भी तेज़ी से बढ़ता है, केवल कुछ पॉइंट बढ़ोतरी के साथ भी कंपनियां फोनों में कूलिंग सिस्टम देती हैं, लेकिन अगर इसे और बढ़ाया जाए, तो बैटरी की खपत भी काफी बढ़ जायेगी और तापमान बढ़ने से चिपसेट जल भी सकता है। इसीलिए साल-दर-साल ऐसा करना संभव नहीं है।

अब बात करते हैं कि ये कोर जिन्हें कई बार प्रोसेसर भी कह दिया जाता है, करते क्या हैं ? ये कोर स्मार्टफोन पर आयी कमांड या इंस्ट्रक्शन को लेते हैं और वही काम करते हैं और वो ये काम कितनी तेज़ी से कर पाते हैं, ये उनकी क्लॉक स्पीड पर निर्भर करता है।

आपके स्मार्टफोन का परफॉरमेंस कैसा है, ये कोर की संख्या से ज़्यादा कोर की क्वालिटी पर निर्भर करता है और उससे भी ज़्यादा इस बात पर करता है कि ये सभी कोर आपस में कितने अच्छे से कनेक्ट हैं और उनके पास कितनी cache memory है।

Cache Memory (कैश मेमोरी) क्या है व क्यों ज़रूरी है ?

एक चिपसेट पर ही Cache memory दी जाती है और ये अलग-अलग लेवल पर होती है। इसीलिए ये काफी महंगी भी होती है। लेकिन अगर cache memory ज्यादा है तो परफॉरमेंस बढ़ जाती है। दरअसल एक कोर कैसा भी हो, फ़ोन में मौजूद RAM, memory (storage), इन सबसे बेहद तेज़ होता है, तो अपना इंस्ट्रक्शन सेट पूरा करने के बाद कोर को अगले सेट का इंतज़ार करना पड़ सकता है, जबकि अगर cache memory है, तो instruction set वहाँ स्टोर किये जा सकते हैं और कोर वहीँ से जल्दी अगला इंस्ट्रक्शन सेट उठा सकता है। लेकिन किफ़ायती या मिड-रेंज चिपसेट में ज्यादा कैश मेमोरी दे पाना संभव नहीं होता।

Apple के स्मार्टफोनों में मौजूद चिपसेट के परफॉरमेंस बेहतर होने का मुख्य कारण ये भी है कि ये ब्रांड कीमत की ज़्यादा परवाह न करते हुए ज़्यादा cache memory देता है।

प्रोसेस टेक्नोलॉजी (Process Technology), ये 5nm, 7nm, 10nm, इत्यादि क्या है ?

दरअसल ये चिपसेट पर मौजूद ट्रांजिस्टरों के बीच की दूरी का माप होता है, जिसे nm में दर्शाते हैं, जिसका फुल फॉर्म है नैनोमीटर। लेकिन आज टेक्नोलॉजी ने हद से ज़्यादा विकास कर लिया है और आज के समय में इसका वास्तव में कोई अर्थ नहीं है क्योंकि चिपसेट बेहद छोटे हैं और उन पर ट्रांजिस्टर भी छोटे और कई होते हैं। लेकिन फिर भी आज के समय में इसका इस्तेमाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रोसेस नोड जितना छोटा होता है, चिपसेट उतना ही ज़्यादा कुशलता और कम बैटरी की ख़पत में काम कर सकते हैं ((better power efficiency)।

लेकिन तकनीकी रूप से इसे छोटा करना भी बेहद मुश्किल काम है। पिछले कुछ समय में हमने 14nm, 10nm, 7nm से 5nm प्रोसेस टेक्नोलॉजी की दूरी तय की है। कुछ सूत्र कहते हैं कि Apple और TSMC मिलकर अब 3nm process technology पर भी काम कर रहे हैं।

अब बात करते हैं चिपसेट में मौजूद अन्य प्रोसेसिंग यूनिटों की।

GPU क्या है ?

CPU के साथ दूसरा अहम प्रोसेसर है GPU यानि कि ग्राफ़िक्स प्रोसेसिंग यूनिट। GPU आपके फ़ोन के ग्राफ़िक्स का काम संभालता है, जैसे कि इस्तेमाल के दौरान डिस्प्ले पर आ रही तस्वीर, गेमिंग के दौरान स्क्रीन, और इस्तेमाल की जा रही ऐप के इंटरफ़ेस में कितने मिलियन पिक्सल भरे जाते हैं, उनका गणना की जाती है और इन्हें सही ढंग से प्रदर्शित करना इसका मुख्य कार्य है।

एक बेहतर GPU फ़ोन पर गेमिंग के दौरान बेहतर परफॉरमेंस देने में मददगार होता है। इसीलिए आजकल गेमिंग स्मार्टफोनों में GPU का रोल बहुत महत्वपूर्ण हैं।

दो प्रमुख GPU की श्रंखला हैं Qualcomm का Adreno और Arm का Mali GPU, इसके अलावा Apple अपने GPU खुद बनाता है और उसकी परफॉरमेंस फिलहाल इन दोनों एंड्राइड स्मार्टफोनों में दिए जाने वाले GPU से बेहतर है।

कुछ ही महीनों पहले अपने आने वाले फ्लैगशिप स्मार्टफोनों में RDNA 2 ग्राफ़िक्स टेक्नोलॉजी देने के लिए Samsung ने AMD से भी पार्टनरशिप की है। इसके बाद Exynos चिपसेट के साथ Radeon RDNA 2 ग्राफ़िक्स कार्ड आएंगे जो शायद Apple के GPU से काफी बेहतर परफॉरमेंस दे सकते हैं। स्मार्टफोनों के लिए GPU बनाने वाले निर्माताओं में Arm और Qualcomm के अलावा AMD भी अब एक नाम होगा।

ISP क्या है ?

ISP का फुल फॉर्म image signal processing (इमेज सिग्नल प्रोसेसिंग) है। अगर आपको लगता है बेहतर तस्वीरें खींचने के लिए सिर्फ कैमरा अच्छा होना चाहिए, तो आप गलत हैं। अच्छे कैमरा लेंस के साथ उससे ली गयी तस्वीर की प्रोसेसिंग भी बेहद ज़रूरी है।

आज के दौर में एक स्मार्टफोन में अच्छा चिपसेट, बड़ी स्टोरेज, बड़ी डिस्प्ले के साथ-साथ बेहतरीन कैमरा सेंसर की मांग है। लेकिन कैमरा एक ऐसी चीज़ है जिसके लिए जितना ज़्यादा स्पेस मिले, उतना अच्छा। लेकिन आज स्मार्टफोनों में स्पेस की ही सबसे ज़्यादा कमी है और ऐसे में हमें 4K, 8K में रिकॉर्डिंग करने वाले कैमरे चाहिए, जिसके लिए ब्रांड इसमें AI जैसी कई अल्गोरिथम भी लगाते हैं। यही कारण है कि आज के स्मार्टफोनों में ISP बहुत ज़्यादा ज़रूरी है। ISP आपके स्मार्टफोन कैमरा द्वारा तस्वीर के रूप में लिए गए डाटा को प्रोसेस करके, उसकी एक-एक डिटेल, रंगों के साथ उसे एक बेहतर तस्वीर का रूप देने का काम करती है। आजकल यही इमेज प्रोसेसिंग अक्सर एक अच्छे कैमरे को बुरे कैमरे से अलग करती है।

DSP, NPU क्या है ?

NPU यानि कि neural processing units फ़िलहाल प्रीमियम स्मार्टफोनों में ही मौजूद होता है। ये AI और machine learning से सम्बंधित कार्यों को आसानी से और तेज़ी से सँभालने में सक्षम होता है। इसके पास अपनी एक cache memory होती है, जिसके कारण काम में और तेज़ी आती है।

Digital Signal Processor (DSP) भी एक अलग प्रोसेसर है जो मुश्किल मैथमेटिकल फंक्शन और कभी कभी AI से सम्बंधित कार्यों को पूरा करता है। आपके फ़ोन के कई सेंसर जैसे कि gyroscope sensor, के डाटा को लेना व जांचना इसका काम है। फ़ोन में गाने सुनते समय ऑडियो फाइलों को डीकम्प्रेस करना भी इसी का काम है। इसके अलावा जिन स्मार्टफ़ोनों में NPU नहीं होता उनमें AI, AR, VR से जुड़े टास्क या काम भी यही करता है।

चिपसेट और GPU कौन डिज़ाइन करता है ?

स्मार्टफोन की दुनिया में चिपसेट बनाने वाले कुछ ही खिलाड़ी हैं जिनमें Samsung, MediaTek, Huawei, Arm, Qualcomm शामिल हैं।

वहीँ GPU की बात करें तो Qualcomm अपने Snapdragon चिपसेट के साथ Adreno सीरीज़ के GPU देता है और MediaTek, Samsung चिपसेट के साथ ARM का डिज़ाइन किया हुआ Mali GPU आता है।

एक और चीज़ यहां है- कोर (cores) जैसे कि Cortex-A78, Cortex-A55, इत्यादि। इनकी डिजाइनिंग ARM करती है और उसके बाद अन्य स्मार्टफोन ब्रांड इससे लाइसेंस लेकर इन cores का इस्तेमाल या तो ऐसी ही या फिर थोड़ा सा बदलाव करके अपने स्मार्टफोनों में करते हैं जैसे कि Qualcomm के Kryo cores ।

TSMC भी एक ऐसा नाम है, जो चिपसेट की दुनिया में बेहद मशहूर है। TSMC (Taiwan Semiconductor Manufacturing Company) Taiwaan में मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर फाउंड्री है। Apple, Qualcomm, जैसी बड़ी कंपनियां अपने चिपसेट डिज़ाइन तो खुद ही करती हैं, लेकिन जहां उत्पादन करना होता है, वहाँ TSMC की भूमिका दिखती है जो फिर इन चिपसेटों के प्रोडक्शन का कार्यभार संभालती है।

TSMC के अलावा और भी सेमीकंडक्टर फाउंड्री हैं जैसे कि GlobalFoundries, Samsung Electronics, SMIC, इत्यादि।

अब आप खुद ही सोचिये कि चिपसेट का निर्माण किन-किन चरणों से होकर गुज़रता है और कितने प्रोसेसर या कॉम्पोनेन्ट इस छोटी-सी चिप में मौजूद होती हैं। आशा करते हैं कि चिपसेट से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब हमने यहां दे दिया होगा। आपको ये लेख कैसा लगा आप कमेंट बॉक्स में हमें बता सकते हैं।

 

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