सैटलाइट फ़ोन के बारे में हम सभी ने सुना है, लेकिन वास्तव में हम इसके बारे में जानते कितना है ? ये एक ऐसा यंत्र है, जो अक्सर इमरजेंसी सेवाओं के लिए ही काम में आता है, जैसे कहीं देश की सीमाओं पर, जहां सेल-फ़ोन के नेटवर्क नहीं मिलते, वहाँ सैटलाइट फोनों की आवश्यकता होती है। लेकिन आम इंसान कहीं ऐसी जगह फंस जाए, जहां नेटवर्क न मिले तो ? इसी ज़रुरत को देखते हुए स्मार्टफोनों में भी सैटलाइट कनेक्टिविटी की सेवा शुरू हुई है। सबसे पहले स्मार्टफोन में सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर देने वाली कंपनी और कोई नहीं बल्कि Apple है। पिछले साल iPhone 14 सीरीज़ के साथ लोगों को पहला ऐसा फ़ोन मिला, जिसमें सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर मौजूद है, जिसके साथ बिल्कुल सिग्नल न होने पर भी आप लो-ऑर्बिट सैटलाइट से कनेक्ट करके, इमरजेंसी मैसेज भेज सकते हैं। और अब Android फ़ोन भी इस फ़ीचर को लेकर पीछे नहीं हैं। लेकिन इस फ़ीचर को इस्तेमाल करने से पहले, वास्तव में ये फ़ीचर कितना ज़रूरी है, ये कैसे काम करता है और आपको किस कीमत पर ये मिलेगा, ये जानना भी आवश्यक है।
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सैटलाइट कनेक्टिविटी क्या है और कैसे काम करती है ?
सैटलाइट कनेक्टिविटी के साथ एक सैटलाइट फ़ोन पृथ्वी के ऑर्बिट पर घूम रही नज़दीकी सैटलाइट की सहायता से टेलीफोन नेटवर्क से कनेक्ट करता है और जिससे भी आपको बात करनी हो, बिना नेटवर्क के भी हो जाती है।
लेकिन स्मार्टफोनों की बात करें तो, वो पूरी तरह से एक सैटलाइट फ़ोन की तरह काम नहीं कर सकते हैं, इसीलिए फिलहाल उनमें इतनी ही सेवा मिलती है कि जहां टेलीफोन नेटवर्क नहीं हैं, वहाँ सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर के साथ आपका फ़ोन सैटेलाइट से संपर्क करता है और आपके नज़दीकी इमरजेंसी केंद्र पर एक मैसेज चला जाता है, ताकि कम से कम समय में आप तक मदद पहुंचाई जा सके। ऐसा इसीलिए संभव है क्योंकि एक मोबाइल टॉवर के मुकाबले एक सैटलाइट पृथ्वी के काफी बड़े एरिया को सर्विस दे पाती है।
यहां सबसे ज़रूरी बात ये है कि एक सैटलाइट फ़ोन का हार्डवेयर उसकी कनेक्टिविटी के अनुसार, स्मार्टफोन के मुकाबले काफी अलग होता है। एक सैटलाइट फ़ोन को ज़मीन पर मौजूद सेल टावर के नेटवर्क की आवश्यकता नहीं होती है, वो सीधे सैटलाइट से संपर्क करके कॉल कनेक्ट करते हैं। जबकि हम आम लोगों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे स्मार्टफ़ोन धरती पर मौजूद इन्हीं सेल टॉवरों के नेटवर्क पर काम करते हैं।
सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर की आवश्यकता भरे और विकसित शहरों से दूर पड़ती है, जहां सेल टॉवर न होने के कारण, नेटवर्क नहीं मिलते। उदहारण के लिए देश की सीमाओं पर, ऊँचे पहाड़ों पर बेस छोटे कस्बों पर, या जहां अर्थव्यवस्था ठीक न होने के कारण टॉवर नहीं हैं। ऐसे में अगर आप किसी ऐसी जगह फंस जाते हैं, या किसी और के लिए आपको आपातकालीन सेवाएं चाहिए, तो स्मार्टफोन में सैटलाइट कनेक्टिविटी के ज़रिये इमरजेंसी मैसेज भेजा जा सकता है।
स्मार्टफोनों पर कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं सैटलाइट कनेक्टिविटी ?
स्मार्टफोन अब धीरे धीरे काफी नयी टेक्नोलॉजी के साथ आ रहे हैं और पिछले साल iPhone 14 के साथ स्मार्टफोनों में सैटलाइट कनेक्टिविटी फीचर की शुरुआत हो चुकी है। फिलहाल ये स्मार्टफोन एक सैटलाइट फ़ोन का काम नहीं कर सकते हैं, लेकिन इमरजेंसी में इस नए फ़ीचर के साथ आपकी मदद कर सकते हैं।
iPhone 14 सीरीज़ के सभी फोनों में सैटलाइट से कनेक्ट करने के लिए ऐन्टेना लगाए गए हैं और इसीलिए इनसे पिछले किसी और iPhone में ये फ़ीचर नहीं मिलेगा। इस फ़ीचर के साथ आप केवल इमरजेंसी SOS मैसेज भेज सकते हैं, आपको कोई मैसेज आ नहीं सकता। हालांकि इमरजेंसी केंद्रों पर मैसेज पहुँचने के बाद, आप तक मदद ज़रूर पहुँच जाएगी।
- इसके लिए आपको इमरजेंसी नंबर मिलाना होगा उदाहरण (911)।
- नेटवर्क न होने पर नीचे मैसेज आइकॉन के साथ Emergency Text Via Satellite का विकल्प चुनना होगा।
- अब स्क्रीन पर ये विकल्प आएगा, उसमें report emergency का button होगा।
- अब क्या इमरजेंसी हैं, उसका विकल्प चुनें।
- अब फ़ोन सैटलाइट से कनेक्ट करने करने के लिए आपको दिशा के अनुसार थोड़ा इधर उधर घूमने को कहेगा, कनेक्ट होते ही, मैसेज सेंड हो जायेगा और आपकी मेडिकल आईडी, फ़ोन का बैटरी स्टेटस और लोकेशन इमरजेंसी केंद्र तक पहुँच जायेंगे।
- सैटलाइट कनेक्ट न होने का कारण आपके और खुले आसमान के बीचे में आने वाले कोई पेड़, पहाड़ इत्यादि हो सकते हैं, इसीलिए खुले और साफ़ आसमान ने नीचे कनेक्ट करने की कोशिश करें।
पिछले साल iPhone में ये फ़ीचर आने के बाद, अब कई कंपनियां अन्य स्मार्टफोनों में इस फ़ीचर को लाने की कोशिश कर रही हैं, जैसे Samsung, अमरीकी कंपनी T-mobile, Qualcomm, इत्यादि। ये सब सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर की घोषणा कर चुके हैं।
इन कंपनियों ने की सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर की घोषणा
- SpaceX की सैटलाइट लॉन्च होने के बाद, 2023 के अंत तक T-Mobile ने भी सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर लाने का वादा किया है। इसके लिए फोनों में सैटलाइट कनेक्टिविटी तकनीक की भी ज़रुरत नहीं होगी। SpaceX’s Starlink सैटलाइट, इस फ़ीचर के लिए T-Mobile के 1900MHz स्पेक्ट्रम के नए ब्रॉडबैंड नेटवर्क का इस्तेमाल करेगी, जिससे ये सर्विस आपके वर्तमान 5G स्मार्टफोन पर भी चल सके। लेकिन T-Mobile भारत में सर्विस नहीं देती है। फिलहाल इस कंपनी ने इसकी घोषणा ही की है, अभी इसे लॉन्च नहीं किया गया है।
- Qualcomm ने भी Snapdragon Satellite for Android की घोषणा की थी और Snapdragon 8 Gen 2 चिपसेट के साथ नार्थ अमेरिका और यूरोप में इस सर्विस को देने की घोषणा भी की गयी है। साथ ही Qualcomm ने ये भी कहा है कि आने वाले समय में मिड-रेंज चिपसेट और मॉडम में भी ये फ़ीचर दिया जायेगा, जिससे कम बजट के फोनों में भी इमरजेंसी मैसेज भेजने की सुविधा मिल सके।
- MediaTek ने भी MWC 2023 में ऐसे चिप प्रदर्शित किये थे, जिनके साथ स्मार्टफोनों में सैटलाइट कनेक्टिविटी द्वारा टू-वे मैसेज की सुविधा मिल सकेगी, यानि आप मैसेज भेज भी सकेंगे और किसी और भेजने पर आपको मिल भी सकेंगे। साथ ही ये चिप सैटलाइट कनेक्टिविटी के लिए हैं, तो कोई भी स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी इन्हें अपने फोनों में दे सकती है, चाहे उनमें MediaTek प्रोसेसर हों, या नहीं। हालांकि फिलहाल ऐसा कोई फ़ोन आया नहीं है।
- Samsung ने भी अपने निकटतम भविष्य में ये सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर अपने स्मार्टफोनों में लाने की बात कही है। कई रिपोर्ट बताती हैं कि Galaxy S24 सीरीज़ स्मार्टफोनों में ये फ़ीचर मौजूद होगा। कंपनी टू-वे सैटलाइट मैसेजिंग फ़ीचर कोई सफलतापूर्वक फोनों में देने के लिए Exynos 5300 मॉडम पर काम कर रही है, जिससे ये लो-ऑर्बिट सैटलाइट से सम्पर्क कर सके।
सैटलाइट कनेक्टिविटी सर्विस के लिए देना होगा अलग शुल्क
इस सर्विस के बारे में जान लेने के बाद,आपको ये भी जानना ज़रूरी है कि सैटलाइट द्वारा SOS मैसेज भेजने की सर्विस मुफ्त नहीं है। Apple ने iPhone 14 सीरीज़ के फोनों के साथ दो साल तक के लिए इस सर्विस को मुफ्त दिया है, लेकिन उसके बाद लोगों को अगर ये सर्विस चाहिए, तो अलग से शुल्क देना होगा। हालांकि भारत में ये सेवा उपलब्ध ही नहीं है।
इसके अलावा T-Mobile भी इस सर्विस के लिए क्या चार्ज होना चाहिए, उसका निर्धारण कर रही है। Android फोनों पर भी आने वाले समय में सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर के लिए आपको मैसेज अनुसार (कितने मैसेज का पैक चाहिए) कीमत देनी होगी।
किन लोगों के लिए ज़रूरी है सैटलाइट कनेक्टिविटी ?
इस सवाल का जवाब आपकी प्राथमिकताओं और जिन जगहों पर आप रहते या निरंतर जाते हैं, उसके अनुसार ही मिल सकता है। सबसे पहले तो, अगर आप एक मेट्रो सिटी में हैं, जहां अच्छे सेल नेटवर्क मिलते हैं, वहाँ इस सर्विस के लिए शुल्क देना बेकार है। लेकिन अगर आप कहीं ऐसी जगह जा रहे हैं, जहां नेटवर्क कम होंगे या नहीं होंगे, तो थोड़े समय के लिए ही सही, आपको सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर का सब्सक्रिप्शन लेना चाहिए, क्योंकि आपातकालीन स्थिति अचानक ही आती है।
साथ ही अगर आप कहीं कम आबादी वाले क्षेत्र में हैं, जहां नेटवर्क नहीं रहता, या किसी कारण से वहाँ सेल टॉवर नहीं है, तो भी ये सर्विस आपके लिए ज़रूरी है।
फिलहाल स्मार्टफोनों में उपलब्ध सैटलाइट कनेक्टिविटी फ़ीचर एक SOS मैसेज भेजने तक ही सीमित है, लेकिन Qualcomm ने टू-वे मैसेज की घोषणा कर दी है और MediaTek ने इसके लिए डेडिकेटेड चिप भी पेश की है। इन सब कोशिशों के बाद, जल्दी ही भविष्य में सैटलाइट कनेक्टिविटी द्वारा मैसेजिंग के साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी सपोर्ट भी मिल सकता है।
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