पिछले दो सालों में सरकार ने डिजिटल धोखाधड़ी, फर्जी सिम कार्ड और चोरी हुए फोन जैसी समस्याओं के लिए कई नए कदम उठाए। इन्हीं प्रयासों में से एक था Sanchar Saathi। ये एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जिसे नागरिकों की सुविधा के लिए शुरू किया गया था। इससे लोग आसानी से स्कैम कॉल्स रिपोर्ट कर सकें, अपने नाम पर चल रहे नंबर देख सकें और खोए फोन को ब्लॉक करवा सकें।

लेकिन हाल ही में सरकार ने एक ऐसा आदेश जारी किया, जिसने इस ऐप को एक राष्ट्रीय बहस के केंद्र में ला खड़ा किया। आदेश यह था कि Sanchar Saathi अब हर नए स्मार्टफोन में जबरन प्री-इंस्टॉल रहेगा और उसे हटाया भी नहीं जा सकेगा। बस, यहीं से सवाल उठने लगे कि क्या यह सुरक्षा बढ़ाने का कदम है या फिर प्राइवेसी के लिए एक नया खतरा?
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Sanchar Saathi है क्या?
Sanchar Saathi एक सरकारी साइबर सुरक्षा प्लेटफ़ॉर्म है। इसे fraud calls, fake SIM misuse और खोए फोन को ब्लॉक करने जैसे कामों के लिए बनाया गया था।

Sanchar Saathi अचानक चर्चा में क्यों आ गया?
पिछले कुछ दिनों से Sanchar Saathi ऐप को लेकर सोशल मीडिया से लेकर संसद तक लगातार सवाल उठ रहे हैं। विवाद की शुरुआत तब हुई जब सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों से कहा कि ऐप सभी फोनों में प्री-इंस्टॉल होना चाहिए।
ये आदेश सामने आते ही बहस छिड़ गई कि क्या यह कदम सुरक्षा बढ़ाने के लिए था, या क्या इसे निगरानी के खतरे के रूप में देखा जाना चाहिए?
निगरानी या सिक्योरिटी: विवाद की असली जड़
सरकार का तर्क साफ था कि Sanchar Saathi IMEI spoofing, fake SIM और cyber fraud रोकने के लिए जरूरी है।
लेकिन आदेश में लिखा था कि ऐप:
- फोन में अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकेगा
- इसकी किसी भी फ़ंक्शनैलिटी या फीचर को हटाया (disable) नहीं जा सकेगा
- OTA अपडेट से इसे पहले से बने फोन्स में भी डाला जा सकता है
यही वो पॉइंट्स थे, जो लोगों को चिंतित कर गए। कई डिजिटल राइट्स ग्रुप्स ने इसे “permanent surveillance backdoor” तक कहा और पूछा कि क्या किसी ऐप को इतना system-level access दिया जा सकता है, वह भी बिना यूज़र की मर्ज़ी के?

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लोगों के विरोध ने सरकार को U-turn लेने पर मजबूर किया
जैसे ही आदेश की कॉपी ऑनलाइन लीक हुई, प्राइवेसी डर, राजनीतिक आरोप और सोशल मीडिया पर भड़के कमैंट्स तेज़ी से बढ़े। ओपोज़िशन ने भी सरकार पर “जासूसी” का आरोप लगाया।
कुछ ही दिनों में सरकार ने अपना आदेश वापस ले लिया। DoT का बयान था कि
- लोग पहले से बड़ी संख्या में ऐप install कर रहे हैं
- “अनिवार्य” बनाने की आवश्यकता नहीं है
- ऐप स्वैच्छिक रूप से ही सफल हो सकता है
ये सरकार का U-turn इस ऐप को और सुर्खियों में ले आया।
राजनीति ने कहानी को और जटिल बना दिया
संसद में मंत्री ने कहा कि Sanchar Saathi ऐप से 1.5 करोड़ फर्जी मोबाइल कनेक्शन हटे और 26 लाख चोरी या गुम हुए फोन ट्रेस हुए। सरकार ने दोहराया कि ऐप जासूसी नहीं करता।
लेकिन वहीँ विपक्ष ने कहा कि “अगर यह हटाया जा सकता है, तो आदेश में हटाने से रोकने वाली लाइनें क्यों थीं?”
आखिर Sanchar Saathi करता क्या है?

बहस जितनी तेज़ हुई, उतना ही ज़रूरी हो गया यह समझना कि ऐप के असली फीचर्स क्या हैं। आइये जानते हैं।
इस ऐप से आप:
- अपने Aadhaar/KYC से जुड़े सभी मोबाइल नंबर देख सकते हैं
- खोए या चोरी हुए फोन को IMEI के जरिए block कर सकते हैं
- scam calls और fraud SMS report कर सकते हैं
- किसी फोन का IMEI डालकर उसकी authenticity चेक कर सकते हैं
- verified bank numbers और ISPs की directory देख सकते हैं
यानी मूल रूप से यह सुरक्षा के लिए बनाया टूल है, लेकिन इसके जबरन इनस्टॉल होने वाले आदेश ने इसे प्राइवेसी को लेकर बहस में धकेल दिया।
अंत में क्या हुआ
Sanchar Saathi विवाद ने एक बड़ा सवाल उठाया है कि डिजिटल सुरक्षा और नागरिकों की प्राइवेसी के बीच संतुलन कैसे बने?
ऐप का उद्देश्य फ्रॉड रोकना है, लेकिन जब किसी सिस्टम को ज़रुरत से ज़्यादा फोन का एक्सेस दिया जाता है, तो पारदर्शिता और मर्ज़ी बेहद ज़रूरी हो जाते हैं। U-turn से विवाद शांत तो हुआ है, लेकिन ये बहस अब भी बाकी है कि भविष्य की तकनीकी पॉलिसी या नियम कितनी सुरक्षित और कितनी लोकतांत्रिक होंगी?
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