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क्या होता है स्मार्टफोन चिपसेट(प्रोसेसर) और क्या है इसकी जरूरत? आइये जानें !

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 जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सभी स्मार्टफोन्स का दिमाग उनके चिपसेट्स होते हैं, लेकिन अधिकांश उपभोक्ताओं को उनके हैंडसेट में मौजूद चिपसेट के बारे में कोई जानकारी नहीं होती और ना ही वे इसे जानने में कोई रूचि रखते हैं। अधिकांश उपयोगकर्ताओं के लिए, चिपसेट की जानकारी मीडियाटेक और क्वॉलकॉम, क्लॉक फ्रीक्वेंसी , और कोर की संख्या के बीच ही रह जाती है।
इस आर्टिकल के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको चिपसेट के उन तकनीकी पहलुओं से रूबरू कराना है, जिनकी सहायता से आप फ़ोन खरीदते वक्त होने वाले धोखे और गलतियों से बच सकें।
प्रारम्भतः, एप्लिकेशन प्रोसेसर आपके स्मार्टफ़ोन का दिमाग है, एक चिपसेट सिर्फ एक प्रोसेसर नहीं इससे कहीं ज्यादा है। एक चिपसेट या सिस्टम-ऑन-चिप (एसओसी) में प्रोसेसर के अलावा कई अन्य कंपोनेंट्स शामिल होते हैं जो आपके डिस्प्ले, कैमरा, जीपीएस एंटीना, बैटरी चार्जिंग की गति, वाईफ़ाई स्पीड आदि और स्मार्टफोन के परफॉरमेंस के लगभग हर पहलू पर प्रभाव डालता है।

क्या चिपसेट में कोरों की संख्या का कोई महत्व है ?

यह गलत धारणा है कि ज्यादा कोर का मतलब बेहतर परफॉरमेंस है। एक तकनीक समीक्षक के रूप में, मुझे अभी भी उन्ही लोगों से रूबरू होना पड़ता है जो अधिक कोर में अपना विश्वास जताते हैं। चिपसेट जटिल होते हैं, इसके समीकरण में कई तथ्य होते हैं जो परिणाम को प्रभावित करते हैं, जैसे:
  • वे किस मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस से बनाये गए हैं (14 एनएम फिनफेट, 16 एनएम फिनफेट, 28 एनएम एचपीएम, 28 एनएम एचपीसी +, 28 एनएम एलपी, आदि)
  • उनकी क्लॉक फ्रीक्वेंसी क्या है (1.3GHz, 1.5GHz, 2.2GHz)
  • उनमें किस प्रकार के कोर इस्तेमाल किये गए हैं (कॉर्टेक्स ए 53, कॉर्टेक्स ए 72, कॉर्टेक्स ए 7, आदि)
  • कोर कैसे व्यवस्थित किए गए हैं (सभी कोर एक ही फ्रीक्वेंसी पर हैं, या अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर  2 क्लस्टर हैं),
  • मेमोरी इंटरफेस ( सभी कोर को एक ही रैम और रॉम के साथ कम्यूनिकेट करना होता है, इन संचार चैनलों की चौड़ाई परफॉरमेंस को प्रभावित कर सकती है)
  • इस्तेमाल की गयी ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू)
  • आईएसपी, डीएसपी, मोडेम, फ़ास्ट चार्जिंग सपोर्ट और चिप पर सिस्टम के अन्य कंपोनेंट्स (एसओसी)
इसके अलावा, अन्य कारकों जैसे कि प्रयोग किये जाने वाले स्टोरेज की मात्रा और क्वालिटी , रैम की मात्रा और सॉफ़्टवेयर आपके स्मार्टफोन के परफॉरमेंस में अहम भूमिका निभाते हैं। क्यों कि फ़ोन की परफॉरमेंस पर प्रभाव डालने वाले अन्य बहुत सारे कारक होते हैं, इसीलिए सिर्फ कोर की संख्या को ही फ़ोन की अच्छी या बुरी परफॉरमेंस के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

फिर कोर की संख्या का क्या महत्व है ? मेरे फ़ोन में कितनी कोर होनी चाहिए?

सैद्धांतिक रूप से, अधिक कोर आपके चिपसेट को एक साथ अधिक कार्य कराने में सहायक होती हैं। कागज पर, यह बेहतर प्रदर्शन और मल्टीटास्किंग में सहूलियत देती है, लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है। इन सभी कोरों को एक समान संसाधनों जैसे बैटरी, मेमोरी बस, रैम आदि साझा करना पड़ता है और सैद्धांतिक रूप से, अधिक कोर आपके चिपसेट को एक साथ अधिक कार्य कराने में सहायक होती हैं इसलिए ऐसा नहीं है कि कोर की संख्या बढ़ाने पर प्रदर्शन भी बढ़ जाएगा।
वर्तमान में क्वाड कोर, हेक्सा-कोर और ओक्टा-कोर (और डीसी-कोर) चिपसेट ही प्रमुख रूप से चलन में हैं। लेकिन उपयोगकर्ताओं के लिए चार अच्छे कोर ही पर्याप्त हैं, और क्यों कि आज के बाजार में जहां अधिकतर फ़ोन्स में चार कोर वाले चिप सेट ही दिए जा रहे हैं , तो फिर उपभोक्ताओं को कोर के पैरामीटर्स में उलझने की आवश्यकता नहीं रह जाती है।
 
आईफ़ोन इतने वर्षों से दो कोर के साथ अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन हाँ, एंड्रॉइड चिपसेट निर्माता कोर की संख्या बढ़ाने के दबाव में हैं। ओरिजिनल मोटो एक्स ने प्रभावपूर्वक ड्यूल कोर सेट अप का इस्तेमाल किया, लेकिन उद्योग मानकों को बदलने के लिए इतना ही काफी नहीं था।
सार तथ्य यह है कि अधिक कोर बड़े कार्यों में बेहतर परफॉरमेंस देता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है कि अधिक कोर के बिना आपका काम नहीं चलेगा। आप कोर की संख्या को लेकर बिलकुल परेशान न हों।
 

कोर के विभिन्न प्रकारों में से किसे चुनें?

हमने आपको बताया कि आपको कोर की संख्या के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। तो चलिए कोर की गुणवत्ता के बारे में बात करते हैं।
एंड्रॉइड के 64 बिट में अपडेट होने के बाद, कोर की पसंद सीमित रह गयी है। चिपसेट निर्माताओं के पास नए कोर को विकसित करने का समय नहीं था जिस कारण उन्हें पुराने एआरएम के कोर डिजाइन का उपयोग करना पड़ा। लगभग सभी चिपसेट जो हमने 2015 में देखे थे, उनमें एआरएम के कॉर्टेक्स ए 53 और कॉर्टेक्स ए 57 कोर का इस्तेमाल किया गया था। वक्त के साथ कॉर्टेक्स ए 57 का एडवांस्ड वर्जन कॉर्टेक्स ए 72 कोर आया जो अधिक पॉवरफुल और उन्नत है।
अब मीडियाटेक भी अपने कुछ चिपसेट्स में कोर्टेक्स ए 53 के साथ कोर्टेक्स ए 72 का प्रयोग करने लगी है।
 
अगर डिटेल्स में न जाकर सीधी तुलना करें तो: कस्टम कोर (क्योरो + सैमसंग कस्टम एम 1) >> कॉर्टेक्स ए 72 >> कॉर्टेक्स ए 53 पर्याप्त होना चाहिए।

क्लॉक फ्रीक्वेंसी के बारे में आपको क्या-क्या जानना जरूरी है?

सीधे शब्दों में कहें, तो क्लॉक फ्रीक्वेंसी प्रोसेसर गति का एक संकेतक है। कई बार आप एक ही चिप से रूबरू होंगे जो कि विभिन्न फ्रीक्वेंसी पर मिलती है।
उदाहरण के लिए, शिओमी Mi5 के बेस वर्जन में स्नैपड्रैगन 820 की फ्रीक्वेंसी 1.85 गीगाहर्ट्ज रही है, जबकि हाई एन्ड वाला संस्करण 2.15 गीगाहर्ट्ज वाली चिप का है।

जैसा कि विकिपीडिया  इसके बारे में कहता है:
सेमीकंडक्टर की निर्माण प्रक्रिया काफी जटिल है, जिस कारण कभी-कभी 30% उत्पादन ही सटीक हो पाता है। इसमें होने वाले मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट्स हमेशा घातक नहीं होते, इसीलिए बैच का जो हिस्सा डिफेक्ट युक्त होता है, उनकी क्लॉक फ्रीक्वेंसी को कम करके या गैर-महत्वपूर्ण भागों को इनएक्टिव करके, उन्हें कम कीमत पर बेचा जा सकता है, तथा सस्ते बाजार क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। यह प्रयोग सेमीकंडक्टर उद्योग जैसे सीपीयू, रैम और जीपीयू जैसे उत्पादों पर किया जाता है।

हालाँकि हर बार कम फ्रीक्वेंसी पर चलाने का कारण यही नहीं होता। पिछले साल कई फोन निर्माताओं ने हीटिंग की समस्याओं से बचने के लिए और अधिक पावर एफिशिएंट बनाने के लिए स्नैपड्रैगन 810 को अंडरक्लॉक्ड कर दिया था।
यहां एक और मुद्दा यह है कि बड़ी छोटी चिपसेट के मामले में, केवल हाई परफॉरमेंस क्लस्टर की क्लॉक फ्रीक्वेंसी का ही विज्ञापन किया जाता है। उदाहरण के लिए, 1.7 गीगाहर्ट्ज स्नैपड्रैगन ऑक्टा-कोर प्रोसेसर; इसका मतलब यह है कि केवल चार हाई परफॉरमेंस कोर 1.7 पर आते हैं, दूसरे चार जो डे-टू-डे के लिए सक्रिय हैं, 1.3 गीगाहर्ट्ज पर चल रहे हैं।
 
हाई क्लॉक फ्रीक्वेंसी आपके प्रोसेसर कोर के कार्य की एक्जीक्यूशन गति को बढ़ाने में सहायक होता है,
लेकिन कार्य की यह गति बैटरी की खपत को भी उतनी ही तेजी से बढ़ाती है।

जीपीयू के बारे में आपको क्या जानने की ज़रूरत है?

GPU या ग्राफ़िकल प्रोसेसिंग यूनिट आपके फोन डिस्प्ले पर ग्राफ़िक प्रस्तुति का आधार होती है, जो कि गेमिंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हर GPU के पास अपना कोर और क्लॉक फ्रीक्वेंसी होती है। स्मार्टफोन में, आपको एआरएम द्वारा लाइसेंस प्राप्त माली जीपीयू, इमेजिनेशन टेक्नोलॉजीज द्वारा लाइसेंस प्राप्त पावर वीआर या स्नैपड्रैगन एसओसीएस में क्वालकॉम के एड्रेनो जीपीयू मिल जाएंगे।
सभी तीन GPU ब्रांडिंग्स अलग-अलग पोर्टफोलियो में बंटी हुईं हैं इसलिए आप यह नहीं कह सकते कि एक दूसरे की तुलना में बेहतर है। हाँ यह जरूर है कि सबसे अच्छा स्मार्टफोन जीपीयू अक्सर क्वालकॉम कैंप से संबंधित होते हैं।
 
अब तक, हमने कुछ ऐसे तथ्यों पर चर्चा की है जिनके बारे अधिकांश उपयोगकर्ता सवाल करते हैं। हालंकि, ये केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि महत्वपूर्ण भी हैं। इसमें रैम सपोर्ट (एलपीडीडीआर 3 वीएस एलपीडीडीआर 4), सिंगल चैनल और डबल चैनल मेमोरी इंटरफ़ेस, जीपीयू का इस्तेमाल, जीपीएस, मोडेम और 4 जी एलटीई बैण्ड के बीच का विकल्प, फास्ट चार्जिंग, डिस्प्ले रेज़ोल्यूशन सपोर्ट, कैमरा रेज़ोल्यूशन सपोर्ट, कोडेक सपोर्ट आदि अन्य कारक शामिल हैं।
अपने अगले स्मार्टफोन को खरीदते समय, आपको इन विवरणों में जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आप अपने स्मार्टफोन के एसओसी कंपोनेंट्स को खुद नहीं चुन सकते। इसके अलावा अक्सर आपके पास यह जानने का कोई उपाय नहीं होता कि OEM को इनेबल करने के लिए कौन सी सुविधाओं को चुना गया है। उदाहरण के लिए, कई हैलीओ एक्स 10 संचालित फोन डिस्प्ले सपोर्ट में 120 एफपीएस (fps) रिफ्रेश रेट सपोर्ट करते हैं या नहीं।
यह आलेख आपकी समीक्षा में तकनीकी शब्दकोष को समझने में आपकी सहायता करेगा और आपको बताएगा कि किस तरह का फ़ोन आपको खरीदना चाहिए, लेकिन आपको स्मार्टफोन की परफॉरमेंस के बारे में और जानने के लिए अभी भी इस तरह के अन्य रिव्यूस की सहायता लेनी होगी।

 

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