13 जनवरी को पूर्णिमा के साथ शुरू हुआ महाकुम्भ 2025, हर बार के महाकुम्भ जैसा परंपरागत और आध्यात्मिक मेला तो है, लेकिन वहीँ एक चीज़ ऐसी है, जो इसे काफी ख़ास बनाती है। इस बार के महाकुम्भ मेले में करोड़ों श्रद्धालु जहां अपनी परंपराओं का पालन करते नज़र आएंगे, वहीँ इन लोगों के लिए इसे सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए इस बार डिजिटल सेवाओं और नयी तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है। इन डिजिटल सेवाओं की मदद से इस आयोजन में तीर्थयात्रियों को भी काफी सुविधा मिलेगी और सरकार द्वारा हो अधिकारी इस आयोजन को संभाल रहे हैं, उन्हें भी भीड़ प्रबंधन में और सभी आ जा रहे लोगों की जानकारी हासिल करने में मदद होगी। अगर आप भी महाकुंभ जानें के बारे में विचार कर रहे हैं, तो इन तकनीकों के साथ आप काफी सुविधाजनक तरीके से इस आयोजन में भाग ले सकेंगे। आइए जानते हैं कि कैसे इस बार नयी तकनीकों और डिजिटल सर्विसों के साथ इस बार के महाकुम्भ 2025 को यात्रियों के लिए एक ख़ास पर्व बनाने की कोशिश की गयी है।
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1. कुंभ मेला मोबाइल ऐप और सूचना पोर्टल
महाकुंभ 2025 में तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए एक डेडिकेटेड मोबाइल ऐप – Mahakumbh Mela 2025 लॉन्च की गयी है। इस ऐप में नेविगेशन की सुविधा है, जिसके साथ आप पूरा कुम्भ मेला घूम सकते हैं। इसके अलावा आपातकालीन संपर्क, लाइव अपडेट्स जैसे फीचरों के साथ, ये ऐप इससे जुड़े रिवाज़ों की जानकारी भी देता है। इसमें ‘लॉस्ट एंड फाउंड’ सेक्शन, होटल बुकिंग, और मेडिकल सपोर्ट जैसी सुविधाएं भी दू गयीं हैं, जो आपको इस महाकुम्भ आयोजन में काफी मदद करेंगी। इस ऐप एक इस्तेमाल यात्री हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली समेत और भी कई भाषाओँ में कर सकते हैं।
2. RFID तकनीक से तीर्थयात्रियों की ट्रैकिंग
इस मेले में शामिल होने वाले सभी तीर्थयात्रियों को RFID-(रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) वाले कलाईबैंड दिए जाएंगे, जिससे वहाँ के कर्मचारियों को सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में काफी मदद मिल सकेगी। इस बैंड के साथ इस मेले में शामिल होने वाले सभी यात्रियों की आवाजाही, उनकी लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी और आपातकालीन स्थितियों में उन लोगों तक तुरंत सहायता भी पहुँच पायेगी। इसके साथ इस मेले में किसी तरह की कोई घटना होने की सम्भावना भी काफी हद तक कम होगी।
3. QR कोड देंगे महाकुम्भ 2025 से जुड़ी पूरी जानकारी
इस कुम्भ मेले में बेहद बड़े बड़े पोस्टर लगे हैं, जिन पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों के साथ चार QR कोड लगे हैं, इन QR कोडों को स्कैन करने पर आपको मेले से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिल जाएँगी। इस मेले में चार टेंट लगे हैं – जिनमें से महाकुम्भ के प्रशासन, दूसरा होटलों व खाने, तीसरा आपातकालीन या इमरजेंसी सुविधाओं के लिए और चौथा उत्तर प्रदेश की उपलब्धियों को बताने के लिए है। इन QR कोडों को स्कैन करके आप इन चारों टेंटों में जहां आपको जाना है, वहाँ की लोकेशन पता कर सकते हैं। इसके अलावा इन कोडों के साथ में WhatsApp मोबाइल नंबर भी लिखें हैं, जिनसे रियल – टाइम असिस्टेंस मिलती है।
4. Google Maps से भी मिलेगी महाकुम्भ नगर की पूरी जानकारी
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने Google Maps के साथ भी एक MoU साइन किया है, जिसके बाद Google Maps में महाकुम्भ नगर की हर सड़क, हर रास्ते और वहाँ के सभी प्रचलित जगहों की पूरी जानकारी कोई भी यात्री एक्सेस कर सकेगा।
5. ICCC रखेगा पूरे मेले की हर गतिविधि पर नज़र
महाकुंभ नगर में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु आने के आसार हैं, ऐसे में व्यवस्था बहुत अच्छी और सुरक्षित होनी आवश्यक है। इसीलिए हलचल भरे केंद्र से थोड़ी ही दूर मेले के प्रशासनिक परिसर की पहली मंजिल इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) बनाया गया है, जिसका काम महाकुंभ 2025 का डिजिटली संचालन है। इस तरह की एडवांस टेक्नोलॉजी इस शहर में पहले नहीं देखी गयी है। इसे आप एक तरह का डिजिटल किला कह सकते हैं, जो दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नज़र रखेगा। चाहे प्रयागराज में प्रवेश करने वाली सड़कों पर ट्रैफिक की आवाजाही हो, महाकुंभ नगर के विशाल संगम मैदान में भीड़ की प्रत्येक गतिविधि हो, पार्किंग व्यवस्था हो, या और कुछ। इस ICCC का काम हर एक पहलू पर सावधानी पूर्वक नज़र बनाये रखना है। इसके लिए बड़ी स्क्रीन जिन पर लाइव फीड देखी जा सके, स्मार्ट कैमरे जो सब कुछ कैप्चर कर सकें और तरह तरह के AI सिस्टम लगाए गए हैं।
6. डेटा एनालिटिक्स और अन्य डिजिटल साधन
महाकुंभ 2025 में डेटा एनालिटिक्स का उपयोग भी होगा, जिससे पहले हुए महाकुम्भ मेले और वास्तविक समय के डेटा के आधार पर भीड़ के पैटर्न का अनुमान लगाया जाएगा। इससे संसाधनों का सही उपयोग हो सकेगा और भीड़ का प्रबंध भी बेहतर कर पाएंगे। इसके अलावा पर्यावरण और गंगा जल की गुणवत्ता के संरक्षण के लिए डिजिटल टूल्स का उपयोग किया जाएगा। सोलर पावर स्टेशन, और डिजिटल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम जैसे उपाय अपनाए जाएंगे। साथ ही आईआईटी कानपुर और आईआईआईटी इलाहाबाद जैसे संस्थानों के साथ उत्तर प्रदेश सरकार सहयोग कर रही है, जिससे AI, मशीन लर्निंग, और डेटा एनालिटिक्स को भीड़ के प्रबंधन और सुरक्षा के लिए और कुशल समाधान मिल सकें।
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