RAM’सूत्र: सब कुछ जो आप अपने फोन की रैम के बारे में जानना चाहते हैं

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जब भी हम एंड्रॉइड फ़ोन्स के विषय में बात करते हैं, उस दौरान रैम (RAM) को लेकर हमेशा एक रोचक चर्चा शुरू हो जाती है। कभी एंड्रॉइड की दुनिया में 2GB रैम(RAM) एक बड़ी बात होती थी लेकिन आज 3GB रैम(RAM) 10 हज़ार तक के स्मार्टफोन में भी आम बात हो चुकी है। यदि आप भी स्मार्टफोन खरीदने पर विचार कर रहे हैं और रैम(RAM) के विकल्पों को लेकर उलझन में है तो हमारा यह आलेख आपको RAM से जुडी मूलभूत बातों से परिचित कराने में मददगार साबित होगा।

रैम (RAM) का मूल सिद्धांत

रैम (RAM) या रैंडम एक्सेस मेमोरी मूल रूप से आपके इंटरनल स्टोरेज की तुलना में 6 से 10 गुना तेज मेमोरी होती है । यही वह जगह है जहां आपका प्रोसेसर ऐप कोड को रन करता है, जब भी आप किसी ऐप को चलाते हैं, तो वह एप रैम (RAM) में लोड हो जाता है, और जब भी आप उसे बंद किये बिना दोबारा से प्रयोग करना चाहते हैं रैम (RAM) द्वारा ही उस एप को वहीं से  प्रस्तुत किया जाता है जिस स्थिति में आपने उसे छोड़ा था।
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आपकी रैम(RAM) कैसे उपयोग की जाती है? आपको कितनी रैम(RAM) की आवश्यकता होती है ? रैम(RAM) की पूरी परफॉरमेंस के कई कारकों पर निर्भर करता है – जिनमें से एक मुख्य कारक आपका ऑपरेटिंग सिस्टम है।
आपने लोगों से आईफोन वाले तर्क को जरूर सुना होगा। “एप्पल के आईफोन6 के फ़ोन्स तक 1GB रैम(RAM) का ही इस्तेमाल किया जाता था। इसके बाद भी इनका प्रदर्शन एंड्राइड के शीर्ष फोन्स के मुकाबले बहुत बेहतर था,आईफोन्स में कभी भी एप क्रैश होने की शिकायत सुनने को नहीं मिलती थी। आप कह सकते हैं कि आईफोन मल्टीटास्किंग के लिए एंड्राइड जितने सुविधाजनक नहीं थे, लेकिन फिर भी एक लम्बे समय तक रुकावट पैदा किये बिना परफॉर्म करने के लिए जाने जाते थे ।

एंड्रॉइड पर रैम(RAM) कैसे काम करती है?

मान लें कि आप गूगल क्रोम और जीमेल दोनों को एक साथ यूज कर रहे हैं, इसका मतलब यह है कि आप दोनों एप्स के बीच स्विच कर सकते हैं। आप अपने मेल की जांच कर सकते हैं, उस पर रिप्लाई सकते हैं और साथ-साथ अपने ब्राउज़र में अपने किये जा रहे काम को जारी रख सकते हैं।
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यदि आपके फ़ोन में पर्याप्त रैम(RAM) नहीं है, तो जब आप क्रोम पर वापस स्विच करते हैं, तो आप देखते हैं कि एप्लिकेशन फिर से लोड हो रही है और एक सर्कल गोल गोल घूम रहा है। क्रोम लोड होने के बाद भी आपको फिर से सटीक बिंदु तक स्क्रॉल करना होगा, जहां आपने छोड़ा था। यह आपकी निरंतरता को तोड़ता है और आपके एंड्राइड अनुभव को खराब बनाता है। जबकि अधिक रैम(RAM) आपको एप के बार-बार लोड और रीलोड होने की परेशानियों के बिना आसानी से कई एप्प्स के बीच मल्टीटास्किंग करने की सुविधा देती है। बार बार होने वाली रीलोडिंग न केवल कष्टप्रद है बल्कि फोन की बैटरी लाइफ को कमजोर भी करती है।
रैम(RAM) की आवश्यकता सिर्फ मल्टीटास्किंग के लिए ही नहीं होती, बल्कि बैकग्राउंड प्रोसेसेस जैसे कि बैकग्राउंड में फ़ाइल डाउनलोड करना, एप्स के इस्तेमाल इत्यादि कार्यों में भी रैम(RAM) का महत्वपूर्ण उपयोग होता है।

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क्या रैम बढ़ाने से परफॉरमेंस भी बढ़ेगी?

जरुरी नहीं। उदाहरण के लिए, यदि आपको उपयोग के लिए 2GB रैम(RAM) की आवश्यकता है, तो 3GB रैम(RAM) की मौजूदगी कोई काम नहीं आएगी। हालांकि यह लंबे समय तक टिकाऊ परफॉरमेंस देने में सहायक होगी। उपयोग की अवधि (6 महीने या एक वर्ष) के बाद भी, आपके स्मार्टफ़ोन का प्रदर्शन अच्छा बना रहेगा।हालांकि, यदि आपको 2GB रैम(RAM) की जरूरत है और आप के पास सिर्फ 1.5 GB है, तो अधिक रैम(RAM) (जो व्यावहारिक रूप से एक विकल्प नहीं है) को जोड़ने से परफॉरमेंस में वृद्धि होगी, क्योंकि प्रयोग किये जा रहे एप्स को रैम(RAM) से बार-बार रीलोड नहीं किया जाएगा और आपके फोन को बार-बार कैश करने की ज़रूरत नहीं होगी।

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मुद्दा ये है, कि अधिक रैम(RAM) आपके फ़ोन को एक बार में अधिक एप यूज करने की सहूलियत देता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि एप्स की परफॉरमेंस की उस गति में भी वृद्धि हो जो कि आपके फ़ोन में पहले से हो रही है। उदाहरण के लिए, लेनोवो के4 नोट में 3 जीबी रैम(RAM) है, लेकिन इसका MT6753 चिपसेट इसके फ़ास्ट परफॉरमेंस में बाधक बनता है। ऐप्स और वेबपेज पूरा लोड होने में समय लेते हैं। वहीं दूसरी ओर नेक्सस 5 एक्स जो सिर्फ 2GB रैम(RAM) के साथ बेहतरीन परफॉरमेंस देता है। हालांकि, रैम(RAM) की बेहतर गुणवत्ता आपके एंड्रॉइड प्रदर्शन को बेहतर बनाती है

रैम(RAM) के स्पेसिफिकेशन से आपको क्या नहीं पता चलेगा?

रैम(RAM) की मात्रा के अलावा रैम(RAM) की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण है। आदर्श रूप से, आप अपने रैम(RAM) को आपके प्रोसेसर की गति के समान होने की उम्मीद करेंगे, लेकिन व्यवाहरिकता में ऐसा सम्भव नहीं है। आपके प्रोसेसर और रैम(RAM) के बीच आदान-प्रदान करने की क्षमता आपके स्मार्टफोन की परफॉरमेंस के लिए महत्वपूर्ण है। तो अब प्रश्न ये है कि हम बेहतर गुणवत्ता वाली रैम(RAM) कैसे चुनें? ठीक है, चूंकि रैम(RAM) की क्लॉक स्पीड, बैंडविड्थ, रीड-राइट स्पीड आदि जैसी रैम की जानकारी कभी भी विज्ञापन में नहीं दी जाती है। इसलिए आपके पास सिर्फ LPDDR4 और LPDDR3 के बारे में जानने का विकल्प ही शेष रह जाता है।

एलपीडीडीआर 4 रैम(RAM) क्या है?

LPDDR4 रैम(RAM) का अर्थ लो पावर डबल डेटा रेट (Low power double data rate )से है। जिसमें 4 इसकी चौथी पीढ़ी को दर्शाता है, इसमें लो पावर का मतलब है कि उसे मोबाइल उपकरणों (प्रोसेसर और रैम(RAM) के बीच कम्युनिकेशन के लिए छोटे बिट बस इत्यादि) के बीच में बिजली की कम खपत के लिए संयोजित किया गया है।

Untitled-2यदि आप डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स की मूल बातों से परिचित हैं, तो आप जानते होंगे कि सेमिकंडक्टर उपकरण क्लॉक साइकल्स के आधार पर निर्देशों को अंजाम देते हैं। डबल डेटा रेट रैम(RAM) तेज़ होती हैं क्योंकि वह आपके प्रोसेसर के साथ अप एंड डाउन की क्लॉक्स पर कम्यूनिकेट कर सकती हैं।

रैम(RAM) और प्रोसेसर के बीच कम्युनिकेशन में सुधार का एक अन्य तरीका है – कम्युनिकेशन चैनलों की संख्या में वृद्धि। एलपीडीडीआर 4 रैम(RAM) एक दोहरे चैनल आर्किटेक्चर (2 x 16bit) का उपयोग करता है और एलपीडीडीआर 3 रैम(RAM) से दोगुना तेज़ी से काम करता है। हालांकि सभी चिपसेट एलपीडीडीआर 4 को सपोर्ट नहीं करते। लेकिन पिछले कुछ समय में जो नए चिपसेट्स आये हैं वे इसके अनुकूल हैं।

एलपीडीडीआर4 का रैम(RAM) में क्या प्रभाव है। कितना है ? सैमसंग द्वारा इस वीडियो में दर्शाया गया है

क्या रैम(RAM) क्लीनर का उपयोग आवश्यक है?

एंड्रॉइड पर, आपके द्वारा अक्सर उपयोग किए जाने वाले ऐप्स रैम(RAM) मेमोरी में कैश हो जाते हैं। जब अधिक रैम(RAM) की आवश्यकता होती है, तो एंड्रॉइड कम से कम इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप्स को खुद ही निकाल देता हैI मेमोरी क्लीनर गूगल के एंड्रॉइड नज़रिये के अनुरूप नहीं हैं, इसीलिए आपको ‘रीसेंट ऐप्स’ को बंद करने के लिए ‘टैप फॉर क्लियर’ जैसे विकल्पों से निपटने की आवश्यकता नहीं है और ना ही आपको हाल ही की ऐप सूची को साफ़ करने की आवश्यकता है; यह सभी विकल्प आपको कस्टम यूआई में मिलेंगे। जबकि नेक्सस 5X या 6 पी में ऐसा करने का कोई विकल्प नहीं है। आधुनिक रैम(RAM) क्लीनर कुछ साल पहले की तुलना में अधिक कुशल हैं लेकिन फिर भी जब आप रैम(RAM) प्रबंधन के मुद्दों पर अधिक गंभीर हैं, तो बेकार ऐप्स को ढूंढ़कर उसे अनइंस्टॉल करना ही बेहतर है। हमारे अनुभव में अब तक, रैम(RAM) क्लीनर एंड्राइड उपकरणों में रैम की कमी को पूरा नहीं सकते।

तो एक नया फोन खरीदने के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?

हमने जो कुछ भी ऊपर चर्चा की है, उसे ये निष्कर्ष निकलता है कि आपको नंबर्स के फेर में इतना नहीं पड़ना चाहिए। प्रैक्टिकल परफॉरमेंस को समझने के लिए आपको समीक्षाओं पर भरोसा करना चाहिए। साथ ही ये भी कि अधिक रैम(RAM) हमेशा एक अच्छी बात है और आपको लंबे समय तक अच्छी परफॉरमेंस का आश्वासन देती है। एक अच्छे एंड्राइड अनुभव के लिए कम से कम 2GB रैम(RAM) वाले फोन्स को चुनें।

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